ACHARYA CHANAKYA NITI

                      अचार्य  चाणक्य नीति

Chanakya ka original naam kya tha Chanakya ka janm Bhoomi


नमस्कार दोस्त आज मैं आपको आचार्य द्वारा कुछ ऐसे  गुन बताऊंगा जिसे शाधने से आपके जीवन में काफी ज्यादा परिवर्तन आ जाएगा

Chanakya

चाणक्य का मूल नाम था :
चाणक्य ने अपना नाम रखा विष्णु गुप्त
चाणक्य के पिता चणक ने उनका नाम कौटिल्य रखा था। चाणक्य के पिता चणक की मगध के राजा द्वारा राजद्रोह के अपराध में हत्या कर देने के बाद चाणक्य ने राज सैनिकों से बचने के लिए अपना नाम बदलकर विष्णुगुप्त रख लिया था। विष्णुगु्प्त नाम से ही उन्होंने तक्षशिला के विद्यालय में अपनी पढ़ाई पूरी की
अचार्य  चाणक्य का जन्म भुमि

अनुमानतः ईसापूर्व 375
पाटलिपुत्र  ( चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री )

चाणक्य बोलते है :

राज्य का शासक कुलीन होना चाहिए.
राजा शारीरिक रूप से ठीक होना चाहिए और शासन को प्रजा के हित के लिये लड़ना चाहिए.
काम और क्रोध तथा लोभ, मोह, माया से दूर रहना चाहिए.
राज्य के शासक को निडर राज्य का रक्षक और बलवान होना चाहिए

चाणक्य कहते है की  जिस प्रकार दीमक लगी हुई लकड़ी जल्दी नष्ट हो जाती है और उस प्रकार राज्य के शासक के अशिक्षित होने पर राज्य का कल्याण नहीं कर सकता 

  • प्रसन्नता को न त्यागें

दांपत्य जीवन में कभी भी प्रसन्नता की कमी नहीं आने दें जब भी मौका मिले इस पल का भरपूर आनंद उठाएं जीवन में प्रसन्नता के पलों को कभी व्यर्थ न जाने दें ये पल पति और पत्नी के रिश्तों को मजबूत बनाते हैं और आने वाले परेशानियों को कम करते हैं।

  • सकारात्मक सोच

व्यापार में सफल होने के लिए कभी नकारात्मक भाव मन में नहीं लाने चाहिए सकरात्मक सोच से कार्य को आरंभ करें सफल जरूर मिलेगी आचार्य चाणक्य


चाणक्य ने विदेश नीति को ध्यान में रखा हैं जो इस प्रकार है :

1. संधि : राज्य और देश में शांति के लिये दुसरे देश के राजा या शासक के साथ संधि की जाती है जो ज्यादा शक्तिशाली हो. जिसका मतलब शत्रु को कमजोर बनाना हैं.

2. विग्रह : शत्रु के विरुद्ध रणनीति बनाना.

3. यान : युद्ध घोषणा किये बिना युद्ध की तैयारी करना.

4. आसन : तटस्थता की नीति का पालन करना.

5. आत्मरक्षा : किसी दुसरे राजा से मदद मांगना.

6. दौदिभाव : एक राजा से शांति की संधि करके अन्य के साथ युद्ध करने की नीति करना